दिन ये यारों हर साल चला आता है,
भूली बिसरी यादों को जगा जाता है,
मिलकर कुछ से चहक उठते है चेहरे ,
सुन कर आवाज कुछ की आँखों में भर आते नगमे ,
हर साल ये दिन कुछ यादें जोड़ भी जाता है,
बीत रही है ज़िन्दगी याद करा जाता है,
मायूस हो या खुश हो अजीब कसमकस है,
क्या यही जीवन है अभी भी असमंजस है ।।
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