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Tuesday, 28 February 2012

Suruaat

कैसा  है  ये  सफ़र
मंजर कुछ समझ नहीं आया है
क्या ये है मेरी मंजिल
या साहिल का और कहीं किनारा  है
शुरुआत तो कर चुके
काफिर दिल फिर भी बैचेन है
कब क्या करें हम
मन भी हर वक़्त मचलता है
कहता है  कुछ और
करना न जाने क्या चाहता है
इशारे दिखे जहाँ
नज़रें पहचान ना पाई है
मेहनत करते हुए
दिल में तीस सी चुभी पाई है
साथ है हर कोई 
मन में फिर भी मची तन्हाई है 
शुरुआत तो कर चुके
मगर तसल्ली कहाँ पाई है ।। 
  


 
 

Friday, 24 February 2012

DAUR

ये किस दौर से गुजरे जा रहा हूँ ,
गम है या ख़ुशी ..
समझ ही नहीं पा रहा हूँ ,
बीते जा रहे है ये कीमती पल ,
इन पलों के पीछे  भागा जा रहा हूँ ,
ये दौर है कैसा इस जीवन का ,
समां -ए- सुहाना ढूंढे जा रहा हूँ ,
फ़ना की राह पर भी पनाह नहीं यहाँ ,
इन राहों को हसीन बनाये  जा रहा हूँ ,
लगता है जल्दी अपना दौर भी आएगा ,
बस अब ये कल कब बुलाएगा ,
अब अपने ख्वाबों के पन्ने समेटे ,
अनजानी फ़िक्र को पीछे छोड़े,
ज़िन्दगी पर यकीन किये जा रहा हूँ,
बस ये  ज़िन्दगी जीये जा रहा हूँ  ।।

   
 

Tuesday, 7 February 2012

Aawara

एक हमें आवारा कहना कोई बड़ा इलज़ाम नहीं ,
दुनिया वाले दिल वालों को और बहुत कुछ कहते हैं |

दिल की बात लबों पर लाकर अब तक हम दुःख सहते हैं,
हम ने सूना था इस बस्ती में दिल वाले भी रहते हैं |

Monday, 6 February 2012

Sabr (सब्र)

नम इस नब्ज से धड़कन छीन कोई ले जाए ,
दर्द को दबा कर सहारा कोई दे जाए ।

कला इस कलम की कागज से चुरा ले जाए ,
एहसास कोई भी अब रह ना जाए ।

 ख़्वाब इस आँखों से अब कोई चुरा कर ले जाए ,
कब्र के सूखे हुए फूल उठा कर ले जाए ।

अब ना रहा जाए दूर इस मंजर में खुदी से ,
सब्र का बांध तोड़ कोई तो तोड़ जाए ।


मुन्तजिर फूल में खुशबू की तरह हूँ कब से,
कोई झोंकें की तरह आये उड़ा कर ले जाए ।।