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Friday, 24 February 2012

DAUR

ये किस दौर से गुजरे जा रहा हूँ ,
गम है या ख़ुशी ..
समझ ही नहीं पा रहा हूँ ,
बीते जा रहे है ये कीमती पल ,
इन पलों के पीछे  भागा जा रहा हूँ ,
ये दौर है कैसा इस जीवन का ,
समां -ए- सुहाना ढूंढे जा रहा हूँ ,
फ़ना की राह पर भी पनाह नहीं यहाँ ,
इन राहों को हसीन बनाये  जा रहा हूँ ,
लगता है जल्दी अपना दौर भी आएगा ,
बस अब ये कल कब बुलाएगा ,
अब अपने ख्वाबों के पन्ने समेटे ,
अनजानी फ़िक्र को पीछे छोड़े,
ज़िन्दगी पर यकीन किये जा रहा हूँ,
बस ये  ज़िन्दगी जीये जा रहा हूँ  ।।

   
 

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