नम इस नब्ज से धड़कन छीन कोई ले जाए ,
दर्द को दबा कर सहारा कोई दे जाए ।
कला इस कलम की कागज से चुरा ले जाए ,
एहसास कोई भी अब रह ना जाए ।
कब्र के सूखे हुए फूल उठा कर ले जाए ।
अब ना रहा जाए दूर इस मंजर में खुदी से ,
सब्र का बांध तोड़ कोई तो तोड़ जाए ।
मुन्तजिर फूल में खुशबू की तरह हूँ कब से,
कोई झोंकें की तरह आये उड़ा कर ले जाए ।।
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