समय के पहिये की चाल में
इक काले समंदर की तह में
गहरायों के अँधेरे तल में
कलियों की तरह से खिलती हुई
फूलो की तरह से हंसती हुई
ये जवानी
ये आजादी
खून की गर्दिश
दिल की धड़कन
मिलने की तड़पन
सब रंगीनियाँ सो जायेंगी
बस इस वक़्त की यादें रह जायेगीं |
इक काले समंदर की तह में
गहरायों के अँधेरे तल में
कलियों की तरह से खिलती हुई
फूलो की तरह से हंसती हुई
खुशबू की तरह महकती हुई
सारी शक्लें खो जायेंगीये जवानी
ये आजादी
खून की गर्दिश
दिल की धड़कन
मिलने की तड़पन
सब रंगीनियाँ सो जायेंगी
बस इस वक़्त की यादें रह जायेगीं |
No comments:
Post a Comment