राह के मुसाफिर
डगर थाम साथ
चल सको तो
चलो
तेज लहरों को चीरते
हुए साथ चल
सको तो चलो
तरकस
- ऐ- तीर जंगल
में खाली साथ
चल सको तो
चलो
रेतीले
रेगिस्थान रहे ना
नीर साथ चल
सको तो चलो
आहटें
सुनकर फिजाओं की
साथ चल सको
तो चलो
सर्द
चादर है बर्फ
की लेकिन साथ
चल सको तो
चलो
हुजूम
- ऐ - गम मैं
मेरे साथ चल
सको तो चलो
कदम कदम
पर है मुस्किल
साथ चल सको
तो चलो
वाह वाह .........क्या बात हैं सुभान अल्लहा
ReplyDeletemusafir to saath chl lega...
ReplyDeletetum musafir pr vishwas kr sko to le chalo...
rah tumhari h, lakhsay b tumhara...
mann k musafir ko intezar h tumhara, vishwas kro or saath le chalo...!!
Got it neha.... :)
Delete:) :)
Deletemujhe aksar rulaate hai.....march, garmiyaa aur wo
ReplyDeleteWo kon h jo tumko rula jata h
Deleterona to use h jo hume bhula jata h...