राह देखी थी
इस दिन की
कब से,
आगे के सपने
सजा रखे थे
ना जाने कब
से,
बड़े उतावले थे
जाने को,
ज़िन्दगी का अगला पड़ाव
पाने को ||
पर ना जाने
क्यों दिल में
आज कुछ और
आता है,
वक्त को रोकने
का जी चाहता
है,
जिन बातो को
लेकर रोते थे,
आज उन्ही पर
हँसी आती है,
ना जाने आज
उन पलों की
याद बहुत सताती
है||
कहा करता था
बड़ी मुस्किल से
ये साल सह
गया,
पर आज ना
जाने क्यों लगता
है कुछ पीछे
रह गया ||
कहीं न कहीं
हजारों बातें रह
गयी,
ना भूलने वाली कुछ यादें रह गयी ||
ना भूलने वाली कुछ यादें रह गयी ||
मेरी टांग अब कौन खिंचा करेगा,
सिर्फ मेरा सर खाने को कौन मेरा पीछा करेगा,
जहाँ 5000 का हिसाब नहीं वहां,
5- 5 रुपये के लिए कौन लड़ेगा ||
कौन रात भर जाग कर साथ पड़ेगा,
कौन lunch पर मेरी राह देखेगा,
कौन मेरे नए नए नाम बनाएगा ||
कौन back आने पर दिलासा
दिलाएगा,
कौन ज्यदा नंबर आने पर गालियाँ सुनाएगा ||
कौन ज्यदा नंबर आने पर गालियाँ सुनाएगा ||
ऐसे दोस्त कहाँ
मिलेंगे जो खाई में
भी धक्का दे
आये,
और फिर बचाने को खुद भी कूद जाये ||
और फिर बचाने को खुद भी कूद जाये ||
मेरे उसूलों से परेशान कौन होगा,
कभी मुझे लड़की से बात करता देख हैरान कौन होगा,
कौन
अब मेरा कैमरा
मुझसे छिनेगा,
कौन
अजीब अजीब फोटो
लेकर हंसेगा ,
कौन bike पर चलते आँखे
बंद करेगा ||मैं अब बिना मतलब किससे लडूंगा,
बिना topic के किससे बकवास करूँगा,
दुकानों पर ठंडा किसके साथ पियूँगा ,
वो हँसी के पल किसके साथ जियूँगा,
कैरम, मैं किसके
साथ खेलूँगा,
किसके साथ बौरिंग क्लास झेलूँगा ||
किसके साथ बौरिंग क्लास झेलूँगा ||
सर के पीछे से कौन हसेंगा,
शर्त हारने पर अब treat में कौन फसेंगा ||
मेरे achievements को रद्दी कहने
की हिम्मत कौन
करेगा,
बिना डरे मुझसे सच्ची बातें कौन करेगा ||
बिना डरे मुझसे सच्ची बातें कौन करेगा ||
Stage पर किसके साथ जाऊंगा ,
Juniors को फालतू lecture किसके साथ दूंगा ||
अचानक बिना मतलब किसी को भी देखकर हँसना,
ना जाने फिर ये कब होगा ,
कह दो दोस्तों दुबारा ये सब कब होगा ||
दोस्तों के लिए सबसे कब लड़ पाएंगे,
क्या ये दिन फिर से आ पाएंगे ||
रात को 2 बजे कौन साथ चाय पीने जायेगा,
300 का dinner रात 3 बजे कौन कराएगा,
कौन मुझे मेरी काबिलियत पर भरोसा दिलायगा,
और ज्यादा उड़ने पर जमीन कौन दिखायेगा ||
मेरी खुशी में सच में खुश कौन होगा ,
मेरे गम में मुझसे ज्यादा दुखी कौन होगा ||
मेरी ये कविता
अब कौन पढ़ेगा,
कौन इसे सच में समझेगा ||
कौन इसे सच में समझेगा ||
बहुत कुछ लिखना अभी बाकी है,
कुछ साथ शायद अभी बाकी है ||
बस एक बात से डर लगता है दोस्तों,
हम कभी अजनबी ना बन जाये दोस्तों ||
ज़िन्दगी के रंगों में दोस्ती का रंग फीका ना पड़ जाये,
कहीं ऐसा ना हो दूसरे रिश्तों की भीड़ में दोस्ती दम ना तोड़ जाये ||
ज़िन्दगी में मिलने की फरियाद करते रहना,
अगर ना मिल सके तो कम से कम याद करते रहना ||
चाहे जितना हँसना हो हँस लो आज मुझ पर, मैं बुरा नहीं मानूंगा,
इस हंसी को अपने दिल में बसा लूँगा,
और जब भी
याद आएगी तुम्हारी हंसी
,
ये ही हंसी लेकर थोड़ा मुस्कुरा लूँगा ||
दोस्तों के नाम मेरा का छोटा सा पैगाम...... ||||
ये ही हंसी लेकर थोड़ा मुस्कुरा लूँगा ||
दोस्तों के नाम मेरा का छोटा सा पैगाम...... ||||