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Saturday 24 March 2012

रोना छोड़ दिया

ज़िन्दगी अक्सर कुछ कहना भूल जाती है ,
रास्तों पर पड़ी धूल भी हवा से उड़ जाती है ,
आँखों में पड़ती उन धूल से ,
सपने देख की हुई भूल से ,
मैंने आज खुल कर बोल दिया ,
यही की अब मैंने रोना छोड़ दिया ।।

कुछ कहे ना कहे ये ज़िन्दगी
सबक सारे ये दे जाती है,
हम भी रहे ना रहे यहाँ
सिमटी हुई सी यादें रह जाती है,
यादों के बहते कारवां से ,
लिपटी ज़िन्दगी की साँसों से,

मैंने आज खुल कर बोल दिया ,
यही की अब मैंने रोना छोड़ दिया ।।

यारों की यारी से खुशी मिल जाती है,
हंसी मजाक में कभी मंजिल मिल जाती है,
साथ चले उन मस्ती के पलों से,
अभी भी बची हुई उस जुम्बिस से,

मैंने आज खुल कर बोल दिया ,
यही की अब मैंने रोना छोड़ दिया ।।

अब भी  वो बदरी वहां बरस जाती है,
पर हमे ना पाकर उदास लौट जाती है,
सीख इस बंजर जमीन से,
सूखे  काटों की चुभन से ,

मैंने आज खुल कर बोल दिया ,
यही की अब मैंने रोना छोड़ दिया ।।

नम साँसों से कभी आह आ जाती है,
जब फिजा तरसा कर चली जाती है ,
उन सर्द हवाओ की ठिठुरन से,
जलती लकड़ियों के धुएं से,

मैंने आज खुल कर बोल दिया ,
यही की अब मैंने रोना छोड़ दिया ।।






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