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Wednesday 23 May 2012

किसी की याद आती रही

आज  गुमसुम  हवाएं लोरियां सी सुनाती रही ,
मेरी तन्हाई  फिर मुझे सताती रही ,
सन्नाटों को चीरती ,
किसी की याद आती रही ।

मेरी कलम  सफ़ेद  कागच  पर ,
लिख  लिख  कुछ  मिटाती  रही ,
सूखे से लबों पर जैसे 
कोई बात  आती सी रही,
किसी की याद आती रही ।

बीते हुए पल  कभी ना  लौटेंगे,
ना ही लौटेंगे दूर जाने वाले,
दोपहर में तेज  हवाएं गली में ,
जैसे धूल  उड़ाती सी रही,
किसी की याद आती रही ।

सूखे पत्तों की सरसराहट मुझे ,
किसी की याद  दिलाती रही ,
मेरी उँगलियाँ रेत  पर  जैसे ,
मेरी किस्मत  लिखती रही मिटाती  रही,
किसी की याद आती रही ।।



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