अपने कर्म किए जा मन से
क्यों झिझकता, डरता है इस जग से
आलोचना करना इस जग की रीत है
सफल होगा अवश्य अगर लक्ष्य से प्रीत है
इन कुटिल मुस्कानो पर ताला लग जाएगा
जब भी तेरा समय आएगा।।
देख हर महान को, वो भी लक्ष्य पर अड़ा था
चाहे संसार सारा उसके विरोध में खड़ा था
हँसकर तू चल चाहे कितनी कठिन हो डगर
दृढ़निश्चय है तो तू तर जाएगा सागर
अनुमानों का मेघ यूँ धरा रह जाएगा
जब भी तेरा समय आएगा।।
संसार बने तो तू शीतल जल बन जा
अनुभवों के नीर से सींच तू जीवन उपवन
झाँक तू अंतर्मन में पथ तूझे यही दिखेगा
मत घबरा पराजयों से इनसे ही तो सीखेगा
प्रयासों के दियों से हर अंधकार मीट जाएगा
जब भी तेरा समय आएगा।।
क्यों झिझकता, डरता है इस जग से
आलोचना करना इस जग की रीत है
सफल होगा अवश्य अगर लक्ष्य से प्रीत है
इन कुटिल मुस्कानो पर ताला लग जाएगा
जब भी तेरा समय आएगा।।
देख हर महान को, वो भी लक्ष्य पर अड़ा था
चाहे संसार सारा उसके विरोध में खड़ा था
हँसकर तू चल चाहे कितनी कठिन हो डगर
दृढ़निश्चय है तो तू तर जाएगा सागर
अनुमानों का मेघ यूँ धरा रह जाएगा
जब भी तेरा समय आएगा।।
संसार बने तो तू शीतल जल बन जा
अनुभवों के नीर से सींच तू जीवन उपवन
झाँक तू अंतर्मन में पथ तूझे यही दिखेगा
मत घबरा पराजयों से इनसे ही तो सीखेगा
प्रयासों के दियों से हर अंधकार मीट जाएगा
जब भी तेरा समय आएगा।।
No comments:
Post a Comment