दुनिया बचपन में बहुत बड़ी हुआ करती थी..
शायद अब दुनिया सिमट रही है...
बचपन में शामें बहुत लम्बी हुआ करती थीं..
अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है
और सीधे रात हो जाती है.
शायद वक्त सिमट रहा है..
बचपन में दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी,
अब भी मेरे कई दोस्त हैं,
पर दोस्ती जाने कहाँ है,
शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं..
ज़िंदगी का लम्हा बहुत छोटा सा है...
कल की कोई बुनियाद नहीं है
और आने वाला कल सिर्फ सपने में ही है.
अब बच गए इस पल में..
तमन्नाओं से भरी इस जिंदगी में
लगता है हम सिर्फ भाग रहे हैं..
या शायद जीवन बदल रहा है..
शायद अब दुनिया सिमट रही है...
बचपन में शामें बहुत लम्बी हुआ करती थीं..
अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है
और सीधे रात हो जाती है.
शायद वक्त सिमट रहा है..
बचपन में दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी,
अब भी मेरे कई दोस्त हैं,
पर दोस्ती जाने कहाँ है,
शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं..
ज़िंदगी का लम्हा बहुत छोटा सा है...
कल की कोई बुनियाद नहीं है
और आने वाला कल सिर्फ सपने में ही है.
अब बच गए इस पल में..
तमन्नाओं से भरी इस जिंदगी में
लगता है हम सिर्फ भाग रहे हैं..
या शायद जीवन बदल रहा है..