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Monday 7 August 2017

कौन जाने

कौन जाने  कौन जाने...
कौन जाने क्यों ऐसा होता है

जब कोई चैन अपना खोता है
जब कोई सपना टूट जाता है
जब कही कोई छूट जाता है
आँखें ये गम छुपा भी लेती है
दिल मगर होले-होले रोता है

कौन जाने  कौन जाने......
फूल खिलते है तो मुर्झाते  है
दिल धड़कते है तो गम पाते है
रुत जो आती है चली जाती है
दिल मगर होले-होले रोता है

कौन जाने  कौन जाने......
लोग ऐसे भी दिन बिताते है
जो भी गम है उससे छुपाते है
कोई शिकवा गिला नहीं करते
जख्म खा कर भी मुस्कुराते है
दिल मगर होले-होले रोता है।
कौन जाने कौन जाने।।

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