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Thursday, 28 November 2013

खुश रहे या बहुत उदास रहे

खुश रहे या बहुत उदास रहे ,
ज़िन्दगी तेरे आस पास रहे ,
चाँद इन बादलों से अब निकलेगा ,
कोई आएगा दिल को यह आस रहे,
हम तो महोबत्त के फूल है शायद ,
कोई काटें भी तो आस पास रहे,
मेरे सीने में इस तरह बस जा ,
मेरी साँसों में तेरी आह रहे,
आज हम उनकी ख़ुशी में खूब हँसे,
और फिर देर तक -
अपनी उलझन में उदास रहे।।

2 comments:

  1. kuch meri kuch tumhari h
    uljhne to is jeevan ne banai h ....

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  2. Na Khali waqt ...na Khali mann rhe a-zindgi kuch aisa kaam
    kr de..... Tere chahre ki uadasi manzur nhi.....apni uljhane mere
    naam ker de..... Shared by :)

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